tag:blogger.com,1999:blog-335652295508353752024-02-18T18:10:54.913-08:00NEERUBABANIRAJ KUMAR SHUKLAhttp://www.blogger.com/profile/13506391560693767196noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-33565229550835375.post-52092783399213203202015-09-10T04:44:00.001-07:002015-09-10T04:44:35.372-07:00दंगा (अज़हर हाशमी)NIRAJ KUMAR SHUKLAhttp://www.blogger.com/profile/13506391560693767196noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33565229550835375.post-30516729930066046662015-05-07T15:06:00.001-07:002015-05-07T15:10:43.769-07:00दोस्ती का सबूत मत मांगो...
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=766256040160000&set=a.161757427276534.33562.100003268341700&type=1&theater
NIRAJ KUMAR SHUKLAhttp://www.blogger.com/profile/13506391560693767196noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33565229550835375.post-49729606921344590522010-11-25T11:19:00.000-08:002013-04-22T00:35:55.756-07:00रावण का बार-बार जीवित होना
मैं अपनी जिंदगी के करीब 37 साल पूरे कर चुका हूं। इस दरम्यान मैंने कई शहरों में दशहरे के दौरान अनेकों छोटे तथा बड़े कागजी रावणों को जलते देखा है। हर वर्ष जितने रावणों को जलाया जाता हैं उससे कहीं ज्यादा पैदा हो जाते हैं। मैं इस उम्मीद से हर दशहरे पर रावण दहन देखने जाता हूं कि अबकी बार रावण जलेगा तो वह फिर पैदा नहीं होगा। मैं उसे जलता देख मन ही मन हर्षित होता हूं लेकिन अफसोस कि हर बार NIRAJ KUMAR SHUKLAhttp://www.blogger.com/profile/13506391560693767196noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33565229550835375.post-16726698200777917322010-07-29T10:38:00.000-07:002010-07-29T10:38:34.106-07:00NEERUBABA: आतंक का साया...NEERUBABA: आतंक का साया...NIRAJ KUMAR SHUKLAhttp://www.blogger.com/profile/13506391560693767196noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33565229550835375.post-77546508068806865362010-07-21T14:16:00.000-07:002010-08-27T20:09:56.798-07:00बनना एक मेंढक का नेताप्रकृति की एक बिरली रचना है मेंढक। ऐसा जीव जिसे शायद ही कोई अनोखा व्यक्ति होगा जो इसे अथवा इसके व्यक्तित्व के बारे में न जानता हो। जंतु विज्ञान में इस अभूतपूर्व हस्ती की विभिन्न प्रजातियां बताई गई हैं। किंतु जहां तक मेरी बात है, तो मैं सिर्फ दो तरह के मेंढकों को ही जानता हूं, बरसाती और चुनावी मेंढक (नेता)।एक रात मैं घर में बैठा कुछ लिखने की कोशिश कर रहा था। अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई। मैंने दरवाजाNIRAJ KUMAR SHUKLAhttp://www.blogger.com/profile/13506391560693767196noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33565229550835375.post-86302075644036296372008-12-02T12:11:00.000-08:002008-12-02T12:44:17.896-08:00आतंक का साया...यह कैसा समय है आयाहर तरफ़ आतंक का सायाआखिर कब तक रहेगा आतंकइंसानियत पर होगा कलंककभी तो मिलेगी निजातउजली होगी ये काली रातकोई तो होगा ऐसा सिपाहीजो रोकेगा यह तबाहीवक्त के लिलार पर लिखेगापत्थरों पर भी गढेगाअब सुरक्षित है मेरा देशअब नही कोई क्लेशअब हम पूरी तरह आजाद हैंअब सभी गुलशन आबाद हैं।- नीरज शुक्ला "नीर"NIRAJ KUMAR SHUKLAhttp://www.blogger.com/profile/13506391560693767196noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-33565229550835375.post-58200276977447924942008-10-05T10:40:00.000-07:002008-12-02T12:44:17.896-08:00सांसों का स्पंदनये कौन है, जो मेरे सपनों में आता है,उठ, सुबह हुई, कह कर मुझे जगाता है,कहीं सो न जाऊँ मैं फ़िर से, इसलिएअलसाई भोर में वो मुझसे बतियाता हैकहता है देख मेरे उनींदे चहरे की उदासी,निराश न हो, कभी तो आएंगे खुशी के दिनबरसेगा झूम कर हमारी उम्मीदों का सावनदे इस उम्मीद का खिलौना मुझे बहलाता हैपूछता है, नीर करोगे आसमान की सैर,जो मैं कहता हूँ नही, तो रूठ जाता है देता है दुहाई अपनी दोस्ती और प्यार छू के सांसों NIRAJ KUMAR SHUKLAhttp://www.blogger.com/profile/13506391560693767196noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-33565229550835375.post-32248376068562655952008-10-05T10:27:00.000-07:002015-05-07T15:31:20.392-07:00नीरज
मैं रज के सिवा कुछ भी न था,
नीर मिला तो नीरज बन गए।
- नीरज शुक्ला ' नीर
NIRAJ KUMAR SHUKLAhttp://www.blogger.com/profile/13506391560693767196noreply@blogger.com1